घर की चारदिवारी से निकलकर आजादी के रंग में ख़ुद को रंगने को आतुर दिखीं महिलाएं

घर की चारदिवारी से निकलकर आजादी के रंग में ख़ुद को रंगने को आतुर दिखीं महिलाएं

प्रमोद कुमार 

पटना।
मंगलवार को सहयोगी संस्था द्वारा इब्तिदा नेटवर्क के सहयोग से ‘उमड़ते सौ करोड़ अभियान’ के अंतर्गत अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम पटना के तरुमित्रा में आयोजित किया गया। इस अवसर पर 100 से अधिक किशोरियों एवं महिलाओं ने भाग लिया।

किशोरियों एवं महिलाओं ने महिला दिवस के जश्न पर बराबरी एवं हिंसा मुक्त समाज बनाने के लिए कविताओं, गीतों, नारों, चित्रकारी के द्वारा अपने सन्देश दिए।अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस के आयोजन पर अलग-अलग गांवों से आयी महिलाओं-किशोरियों, समाजसेवियों, छात्रों के साथ मिलकर तरुमित्रा में एक कार्यक्रम आजोजित किया गया। कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने गीत और कविता गाकर बराबरी और समानता का सन्देश दिया।

किशोर-किशोरियों ने भी स्लोगन, चित्रकारी, आदि बनाकर अपने विचार व्यक्त किये।इस अवसर पर सहयोगी संस्था की निदेशिका रजनी ने उपस्थित प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि हर साल 08 मार्च को अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।

यह दिन महिलाओं के सम्मान में समर्पित है।उनके सम्मान और योगदान के लिए यह एक विशेष दिन समर्पित है। “एक स्थाई और समान कल के लिए समाज में लैंगिक समानता जरूरी”। उन्होंने कहा कि समाज के सभी वर्ग को गौरव, आत्मसम्मान और बराबरी का अवसर देना आवश्यक है।

अन्यथा देश की आधी आबादी के पीछे रह जाने से समग्र विकास की अवधारण अधूरी ही रहेगी। आज भी घर-परिवार और बाहर लड़कियों-महिलाओं के साथ अनेकों तरह की हिंसा और भेदभाव बरते जाते हैं। हर दिन अख़बारों में हिंसा की ख़बरें आती हैं। हम ऐसे व्यवहार स्वीकार नहीं करेंगे। हमें भी समानता और आजादी चाहिए।

हमें बेख़ौफ़ होकर जीना है। इसके लिए महिलाएं ख़ुद को सीमित न करें। लड़कियों-महिलाओं ने घर, खेत, कारखाने, कार्यालय, सभी जगह अपना बराबर योगदान दिया है। अवसर मिलने पर उन्होंने अंतरिक्ष की भी उड़ान भरी है। बिहार में एक पावरग्रिड पूरी तरह महिलाओं द्वारा संचालित किया जा रहा है जो अब तक केवल पुरुषों का कार्यक्षेत्र माना जाता था।

अपनी प्रतिभा के बलबूते महिलाओं ने सभी क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाई है। आज के समय में महिलाएं देश और समाज दोनों के निर्माण में बेहद अहम भूमिका निभा रही हैं। अब पहले की तरह महिलाएं केवल घर की चारदीवारी के अंदर बंद नहीं हैं। वह आज घर से बाहर निकलकर अपने हुनर को प्रदर्शित कर रही हैं और समाज में एक सम्मान का स्थान प्राप्त कर रही है। महिलाओं ने बंदिशों के बावजूद  हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है।

महिलाओं के पूर्ण सम्मान और गरिमा स्थापित करने के लिए सभी का सहयोग अनिवार्य है।कार्यक्रम में तरुमित्रा की देवोप्रिया ने कहा कि सभी तरह की हिंसा एवं भेदभाव की शिकार महिलाएँ एवं हमारी प्रकृति होती हैं। इस अवसर पर हम सन्देश देना चाहते हैं कि साल के सभी शेष दिन भी हमारा सम्मान हो। साथ ही हमारी प्रकृति के प्रति दोहन-शोषण समाप्त हो एवं सभी मिलकर इसका संरक्षण करें।

प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए समाजकर्मी रेशमा ने कहा कि ट्रांसजेंडर के प्रति हमारी सोच एवं रवैया सकारात्मक होना चाहिए। उन्हें भी बराबरी और सम्मान का अवसर मिलना चाहिए। आज के कार्यक्रम में किशोरियों ने स्लोगन और चित्रकारी करते हुए समाज में फैली कुरीतियों पर चोट किया, फरजाना, रुपाली, चित्राली ने बाल विवाह, भ्रूण हत्या, दहेज़ प्रताड़ना पर चित्र बनाकर समाज में फैली विद्रूपताओं के बारे में अपने विचार बताये। अन्य किशोर-किशोरियों एवं महिलाओं ने भी गीत और कविताओं द्वारा बताया कि बेटे-बेटी में अंतर नहीं करें।

महिलाओं को पुरुषों के समान अवसर एवं अधिकार मिलने चाहिए।ज्ञातव्य हो कि सहयोगी संस्था जेंडर हिंसा को समाप्त करने एवं समानता एवं भेदभाव मुक्त समाज बनाने के लिए विभिन्न प्रयास करती रही है। संस्था के द्वारा 2016 से बिहार में ‘उमड़ते सौ करोड़ अभियान’ का समन्वय कर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाते रहे हैं

एवं नेटवर्क संस्थाओं, समाजसेवियों, कलाकारों, मीडियाकर्मियों, छात्रों को इस अभियान से जोड़कर इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है।कार्यक्रम में सहयोगी से उषा, उन्नति, लाजवंती, रूबी, निर्मला, बिंदु, रिंकी, मनोज, धर्मेन्द्र, नितीश, किशन ने भाग लिया।