अडॉप्ट अ विलेज कार्यक्रम के तहत अधिकारी एवं कर्मी पहुंचे पंचायतों में 

अडॉप्ट अ विलेज कार्यक्रम के तहत अधिकारी एवं कर्मी पहुंचे पंचायतों में 

-एईएस/चमकी बुखार को लेकर चलाया सघन जागरूकता अभियान

प्रमोद कुमार 

मुजफ्फरपुर। 16 अप्रैल
अडॉप्ट अ विलेज कार्यक्रम के तहत एईएस/चमकी बुखार पर प्रभावी नियंत्रण करने के मद्देनजर गोद लिए हुए पंचायतों में पदाधिकारियों ने आज अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करते हुए चमकी को लेकर सघन जागरूकता कार्यक्रम को अंजाम दिया। अधिकारियों एवं कर्मियों द्वारा  संबंधित पंचायतों में बैठक की गई।

साथ ही महादलित टोलों में भ्रमण करते हुए बच्चों एवं अभिभावकों को चमकी को लेकर जागरूक किया। पंपलेट बांटे गए और पढ़कर भी सुनाए गए। संबंधित पदाधिकारियों एवं कर्मियों द्वारा आंगनवाड़ी केंद्रों समुदायिक भवन, स्वास्थ्य केंद्रों इत्यादि का भी निरीक्षण किया गया।

270 पंचायतों को गोद लिया गया है

मालूम हो कि एईएस/चमकी बुखार पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर जिला पदाधिकारी के निर्देश के आलोक में प्रथम चरण में जिले के 270 पंचायतों को गोद लिया गया है। जहां प्रत्येक शनिवार को अधिकारी एवं कर्मी पहुंचते और एईएस/चमकी बुखार को लेकर उनके द्वारा सघन रूप से जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाता है।

सामान्य उपचार एवं सावधानियां:

अपने बच्चों को तेज धूप से बचाए, गर्मी के दिनों में बच्चों को ओआरएस अथवा नींबू, पानी, चीनी का घोल पिलाएं, रात में बच्चों को भरपेट खाना खिला कर ही सुलाएं, अपने बच्चों को दिन में दो बार स्नान कराएं।

क्या करें:

तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोछे एवं पंखा से हवा करें ताकि बुखार 100 डिग्री से कम हो सके, चमकी आने की दशा में मरीज को बाएं या दाएं करवट में लिटा कर ले जाए, बच्चे के शरीर से कपड़े हटा ले एवं गर्दन सीधा रखें,

अगर मुंह से लार या झाग निकल रहा हो तो साफ कपड़े से पोछे, जिससे कि सांस लेने में कोई दिक्कत ना हो, तेज रोशनी से बचाने के लिए मरीज की आंखों को पट्टी या कपड़े से ढके, यदि बच्चा बेहोश नहीं है तब साफ एवं पीने योग्य पानी में ओआरएस का घोल बनाकर पिलाएं।

क्या ना करें:

बच्चे को खाली पेट फल ना खिलाए, अधपके अथवा कच्चे फल के सेवन से बचें, बच्चे को कंबल या गर्म कपड़े में ना लपेटे, बच्चे की नाक बंद नहीं करें, बेहोशी/ मिर्गी की अवस्था में बच्चे के मुंह से कुछ भी ना दे,

बच्चे का गर्दन झुका हुआ नहीं रखें, बच्चे के इलाज में ओझा गुनी में समय नष्ट ना करें, मरीज के बिस्तर पर ना बैठे तथा मरीज को बिना वजह तंग ना करें, ध्यान रहे कि मरीज के पास शोर ना हो और शांत वातावरण बनाए रखें।