चमकी बुखार और जेई से निपटने हेतु प्रशिक्षण

चमकी बुखार और जेई से निपटने हेतु प्रशिक्षण

सत्येन्द्र कुमार शर्मा

सारण :- चमकी बुखार और जेई से निपटने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया।
चमकी से बचाव के लिए तीन धमकियां खिलाओ, जगाओ और अस्पताल ले जाओ का पालन जरूरी है।
 एईएस से बचाव को बच्चों को भी जागरूक करें।
छपरा सदर अस्पताल के सभागार में एईएस/जेई (चमकी बुखार/मस्तिष्क ज्वर) पर प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया ।

जिसमें जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों के मेडिकल ऑफिसर, आशा कार्यकर्ता और एंबुलेंस इएमटी को चमकी बुखार और जेई के बेहतर प्रबंधन को लेकर अलग-अलग बैच में प्रशिक्षण दिया गया।

स्वास्थ्य कर्मियों को एईएस से निपटने की विस्तृत जानकारी दी गई। साथ ही इस बीमारी से बचाव के अलावा इसके कारण, लक्षण एवं समुचित इलाज की भी जानकारियाँ दी गई।

जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार सुधीर कुमार और केयर इंडिया के डीटीएल संजय कुमार विश्वास के द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। मेडिकल ऑफिसर का प्रशिक्षण सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा की अध्यक्षता में की गयी थी।

जिसमें डीएमओ डॉ. दिलीप कुमार सिंह, सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. संदीप यादव, सोनपुर के डॉ. मुकेश कुमार के द्वारा दिया गया था। वहीं आशा कार्यकर्ताओं की ट्रेनिंग डीएमओ और जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार सुधीर कुमार के द्वारा दिया गया था। एंबुलेंस इएमटी का प्रशिक्षण सुधीर कुमार और इंडिया की टीम के द्वारा दिया गया।  

डीएमओ डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि एईएस/जेई से निपटने और जिले को इनसे मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के सभी पदाधिकारियों एवं कर्मियों को एकजुट होकर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने की जरूरत है। तभी हम इस बीमारी से सुरक्षित रह सकते और हमारा जिला एईएस-जेई मुक्त बन सकता है।

इसलिए, मैं प्रशिक्षण में मौजूद सभी प्रतिभागियों से अनुरोध करता हूँ कि सभी लोग एकजुट होकर अपनी जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन करें। वहीं, उन्होंने कहा, इसके लिए सामुदायिक स्तर पर जन जागरूकता भी जरूरी है। इसलिए, अभियान चलाकर लोगों को इस बीमारी से बचाव के लिए जागरूक भी करें और आवश्यक जानकारियाँ भी उपलब्ध कराएं।

 उन्होंने कहा, इसके अलावा जन सहयोग की भी जरूरत है। इसलिए, मैं तमाम जिले वासियों से अपील करता हूँ कि सभी लोग एकजुट होकर इस बीमारी के खिलाफ आगे आएं और इस बीमारी से बचाव के लिए चिकित्सा परामर्श का पालन करें। जिले के 1000 आशा कार्यकर्ताओं को कालाजार और चमकी बुखार को लेकर ट्रेनिंग दिया गया है। 

 एईएस से बचाव को बच्चों को भी करें जागरूक : 
जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार सुधीर कुमार ने कहा कि इस बीमारी से बचाव के लिए सामुदायिक स्तर पर बच्चों को जागरूक करने की जरूरत है। इसलिए, विद्यालय, ऑगनबाड़ी केंद्रों समेत अन्य संस्थानों में पढ़ने वाले बच्चों को चेतना सत्र के तहत एईएस/जेई से बचाव को क्या कराना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए

समेत बचाव से संबंधित अन्य जानकारियाँ दें और इस बीमारी के कारण, लक्षण एवं उपचार की विस्तृत जानकारी दें। ताकि लक्षण महसूस होते ही बच्चे अपने अभिभावकों को अपनी परेशानी से अवगत करा सके और समय पर संबंधित बच्चों का इलाज शुरू हो सके। क्योंकि, इस बीमारी को मात देने के लिए समय पर इलाज शुरू कराना बेहद जरूरी है। 

चमकी से बचाव के लिए तीन धमकियां का पालन करने को लोगों को करें जागरूक : 
सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि चमकी से बचाव के लिए तीन धमकियां का पालन करने के लिए लोगों को जागरूक करें। पहला खिलाओ, दूसरा जगाओ और तीसरा अस्पताल ले जाओ।

इसी के तहत बच्चों को रात में बिना खिलाए नहीं सुलाने, सुबह में जगाने और लक्षण महसूस होने पर तुरंत स्थानीय और नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान ले जाने के लिए सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक करें। वहीं, उन्होंने कहा, मैं तमाम जिले वासियों से भी अपील करता हूँ कि बच्चों को एईएस से बचाने के लिए माता-पिता को शिशु के स्वास्थ्य के प्रति अलर्ट रहना चाहिए। समय-समय पर देखभाल करते रहना चाहिए।

बच्चों को मौसमी फल, सूखे मेवों का सेवन करवाना चाहिए। साफ सफाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। छोटे बच्चों को माँ का दूध पिलाना बेहद आवश्यक है। अप्रैल से जुलाई तक बच्चों में मस्तिष्क ज्वर की संभावना बनी रहती है। बच्चे के माता-पिता को चमकी (मस्तिष्क) बुखार के लक्षण दिखते ही तुरंत जाँच और जाँच के बाद आवश्यक इलाज कराना चाहिए। 

- ये है चमकी बुखार के प्रारंभिक लक्षण : 
- लगातार तेज बुखार रहना। 
- बदन में लगातार ऐंठन होना। 
- दांत पर दांत दबाए रहना। 
- सुस्ती चढ़ना। 
- कमजोरी की वजह से बेहोशी आना। 
- चिउटी काटने पर भी शरीर में कोई गतिविधि या हरकत न होना आदि। 

- चमकी बुखार से बचाव के लिए ये सावधानियाँ हैं जरूरी : 
- बच्चे को बेवजह धूप में घर से न निकलने दें। 
-  गन्दगी से बचें , कच्चे आम, लीची व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें। 


- ओआरएस का घोल, नीम्बू पानी, चीनी लगातार पिलायें।
- रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं।
- बुखार होने पर शरीर को पानी से पोछें।
-  पारासिटामोल की गोली या सिरप दें।